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अखबारों में घोषणा होती है
कल बारिष हो सकती है
और जनता सम्हाल लेती है
भारी भरकम रेनकोट और छतरियां
सारे के सारे कागज पोलेथिन संस्कृति में
और तैयार हो जाती है
बारिष से जूझने को
अखबार लिखते हैं
कल टेम्प्रेचर तीन था
और जनता को लगने लगती है सर्दी
ओह ! कल इतनी सर्दी थी...!
हां-हां सचमुच थी
और यही आलम होता है
तमाम संभावनाओं का
मौसम ही नहीं हर मामले में
जनता एक छोटे बच्चे सी मान लेती है
अखबारों का सच ।
अखबारों में घोषणा होती है
कल बारिष हो सकती है
और जनता सम्हाल लेती है
भारी भरकम रेनकोट और छतरियां
सारे के सारे कागज पोलेथिन संस्कृति में
और तैयार हो जाती है
बारिष से जूझने को
अखबार लिखते हैं
कल टेम्प्रेचर तीन था
और जनता को लगने लगती है सर्दी
ओह ! कल इतनी सर्दी थी...!
हां-हां सचमुच थी
और यही आलम होता है
तमाम संभावनाओं का
मौसम ही नहीं हर मामले में
जनता एक छोटे बच्चे सी मान लेती है
अखबारों का सच ।