शनिवार, 31 दिसंबर 2011

जाते हुए वर्ष की पदचाप--- मीनाक्षी स्वामी

आज सोच रही हूं कि जाते हुए साल में क्या हुआ तो एक किताब का लोकार्पण...

कुछ कहानियां प्रकाशित, अप्रकाशित...। खास एक उपन्यास...एक ब्लाग...ग्यारह पोस्ट...कई टिप्पणियां...एक फेसबुक...कुछ मित्र....।  बीते साल की शुरुआत महेश्वर से फिर जयपुर, वाराणसी, ग्वालियर, उज्जैन, भोपाल, बेतूल छोटी छोटी यात्राएं...और कुछ रिजर्वेशन केंसल । उपन्यास "भूभल" पाठक मंच में।कुछ अनुवाद आए अंग्रेजी, मराठी और तमिल में...। 
 


कुछ कार्यक्रमों में शिरकत। 
 कुछ कार्यशालाएं...।
बहुत सारे अधूरे काम और ख्वाहिशें....शायद इस नए साल में पूरे हों।
और हां दो पुरस्कार उपन्यास "भूभल" पर एक वाराणसी से कादम्बरी पुरस्कार...

 और दूसरे की जाते जाते साल ने दी सूचना 



 उपन्यास "भूभल" पर ही
मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी का बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार...।

और एक कहानी गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय हरिद्वार  में एम. ए. के पाठ्यक्रम में...।
अच्छा ही रहा...।

देखते हैं आने वाले साल में क्या होता है.....?